विवाद • क्लैट 2018 ऑनलाइन व नीट 2024 ऑफलाइन... फॉर्मूले पर सवाल
नीटः एनटीए ने क्लैट-2018 के फॉर्मूले पर दिए ग्रेस अंक
नीट यूजी-2024 में एक और विवादास्पद मामला सामने आया है। ग्रेस अंकों को लेकर चल रही कंट्रोवर्सी के बीच अब यह तथ्य सामने आया है कि नीट यूजी-2024 में अंकों का वितरण क्लैट-2018 के फॉर्मूले के आधार पर किया गया है। एनटीए ने जिस पिटिशन का हवाला दिया है वह क्लैट-2018 के पेपर में सामने आई गड़बड़ियों को देखते हुए दायर की गई थी। जबकि क्लैट 2018 का आयोजन ऑनलाइन मोड में किया गया था। वहीं नीट यूजी-2024 का आयोजन ऑफलाइन मोड में किया गया। इसी वजह से छात्रों को 50 से अधिक ग्रेस अंकों का भी वितरण किया गया। क्लैट से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज में दाखिला मिलता है, जबकि नीट यूजी के स्कोर पर मेडिकल कॉलेज सहित अन्य संस्थानों में प्रवेश दिया जाता है। दोनों ही परीक्षाओं के पैटर्न और मार्किंग स्कीम भी अलग-अलग हैं। वहीं कोर्ट ने क्लैट के मामले में ग्रेस अंक देने के लिए जो पैरामीटर्स तय किए थे, उनमें से अधिकांश ऑनलाइन परीक्षा में लागू होते हैं। ऑफलाइन परीक्षा में ये पैरामीटर्स सही नहीं उतरते हैं।
1563 को ग्रेस अंक देने से प्रभावित हुई मेरिट
एनटीए ने यह स्वीकार किया है कि करीब 1563 स्टूडेंट्स को समय के नुकसान के कारण ग्रेस मार्क्स दिए गए। अभी तक एनटीए ने यह नहीं बताया कि कितने ग्रेस मार्क्स अलॉट किए गए। बताया जा रहा है कि एक स्टूडेंट को करीब 50 से अधिक ग्रेस अंक दिए गए। एक व दो छात्रों को ग्रेस अंक देने पर पर ही मेरिट प्रभावित हो रही है। 1563 को ग्रेस अंकों का फायदा देने से मेरिट बुरी तरीके से प्रभावित हुई है।
क्लैट में इन पैरामीटर्स पर दिए गए थे ग्रेस अंक
लॉग-इन फेल होना, मशीन व माउस बदला जाना, सवाल स्क्रीन पर नहीं दिखना, पॉवर में गड़बड़ी शामिल हैं। अधिकांश पैरामीटर्स किसी हाल में ऑफलाइन में लागू नहीं किए जा सकते हैं।
छात्रों को 701 से 704 नंबर तक भी दिए गए
ग्रेस के कारण छात्रों को सीरियल में भी नंबर मिले हैं। 701, 702, 703, 704 और 705 अंक मिले हैं। सही उत्तर पर चार व गलत पर एक नेगेटिव अंक काटने से कई अंक हासिल नहीं किए जा सकते हैं।
ग्रेस मार्क्स अलॉट करने से अन्य छात्रों को नुकसान होगा। अगर किसी छात्र को समय का नुकसान हुआ है। तो उसे परीक्षा केंद्र पर पर ही अतिरिक्त समय देना चाहिए।
- डॉ. एमसी मिश्रा, पूर्व
डायरेक्टर, एम्स दिल्ली
إرسال تعليق